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Monday, April 25, 2011

चली आना..

गुरबत जो करनी हो हमसे तो बिन बुलाए चली आना,
हो जो दर्द तेरा मुझे दे जाना पर बिन बताये चली जाना,

शिकवा जो कभी हो हमसे तो बिन बुलाए कह जाना,
गलतियों पे मेरी सजा-ऐ-मौत सुना हिसाब कर जाना,

मोहब्बत जो आये कभी मुझ अजनबी पर तो चली आना,
बस एक मुस्कराहट दे मेरी मोहब्बत को अमर कर जाना,

बहाना जो ना हो तो बिना किसी बहाने के चली आना,
जो लौटने का मन हो तो हिज्र से अच्छी कोई मौत दे जाना..!!

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